Friday, November 28, 2008

प्राणायाम क्यों करें

प्राणायाम क्यों करें।

संसार की समूची वस्तुएं जिनमे शक्ति व् गति है, जिनमें मनुष्य भी शामिल है, प्राण उनका आधार है। प्राण आप energy के रूप में मान सकते हैं। रेल के इंजन में पानी, कोयला, अग्नि एवं वायु के मिश्रण से जो भाप बनती है, इस भाप से जो धक्का देने की शक्ति (energy) पैदा होती है, वह प्राण है।

इसी प्रकार हमारे शरीर में वायु तथा अन्य तत्व - जल, आकाश, पृथ्वी व् अग्नि (जठराग्नि) के मिश्रण से प्राण-उर्जा पैदा होती है।

हमारा शरीर सुचारू रूप से चलता रहे उसके लिए जरूरी है की हमारे अंदर प्राण उर्जा भी सम्पूर्ण मात्रा में उपलब्ध रहे। परन्तु हम नित जो कार्य करते हैं उसमे प्राण उर्जा खर्च होती रहती है। परिणामस्वरूप हमारे शरीर में प्राण उर्जा की हमेशा कमी बनी रहती है। यह जानकर हैरानी होगी की यदि हम साधारण स्वास लेते रहें, तो शरीर के पूर्ण अंग प्रभावित होना तो दूर, फेफडे भी पूरी तरह से प्रभावित नहीं होते। फेफडों के साथ साथ शरीर के अन्य अंगों की क्रियाशीलता (activity) व् क्षमता (capacity) तो घटती ही है, मन की शुद्धि भी नहीं हो पाती।

प्राणायाम का अर्थ है : प्राण + आयाम अर्थात प्राणों का आयाम अर्थात प्राणों का संचय यानि प्राण-उर्जा (energy) को अपने शरीर में करना।

जिस तरह हम अपने बैंक अकाउंट में पैसे जमा करते रहते हैं ताकि जरूरत अथवा मुसीबत के वक्त उस पैसे का इस्तेमाल कर सकें तथा जिस तरह बैंक अकाउंट में जमा पूँजी हमें जरूरत के वक्त सहारा देती है, ढीक उसी प्रकार प्राणायाम द्वारा जमा की हुई प्राण उर्जा हमें किसी भी बीमारी, विकार आदि को दूर करने में सहायक होती है।

प्राणायाम करने से प्राण शक्ति धीरे धीरे नाडयों में प्रवाहित होती हुई, नाडयों के माध्यम से शरीर के एक एक अंग में store होती रहती है। इससे शरीर की समस्त processes (प्रणालियों) व् अंगों की सक्रियता (activity ) सम्भव होती है।



प्राणायाम के अभ्यास से प्राणशक्ति शरीर में एकत्रित होने से धीरे धीरे चेहरा कांतिमय हो उठता है, चेहरे पर एक अलग glow आ जाता है, कार्य कुशलता व् सफुर्ती बढ़ जाती है तथा चेहरे पर तृप्ति एवं प्रसन्नता अलग ही दिखाई दिखाई देती है। (इसके विपरीत साधारण स्वास लेने वाला व्यक्ति शिथिल अस्वस्थ तथा तनावपूर्ण स्थिति में रहता है।

प्राणायाम के द्वारा अर्जित व् संचित प्राण शक्ति शरीर में किसी विकार व् बीमारी को उत्पन्न होने नहीं देती तथा जो भी विकार पहले से हैं उन्हें धीरे धीरे शरीर से निकाल फेंकती है।

प्राणायाम के गहन अभ्यास से धीरे धीरे विचारों की गहनता बढती जाती है तथा प्राणी के विचारों में आश्चर्यजनक रूप से परिवर्तन आता है, वह भला सोचने लगता है, क्रोध कम हो जाता है, संसार को देखने का नजरिया बदल जाता है, मन में परोपकार की भावना उत्पन्न होने लगती है तथा स्वार्थ की भावना कम होने लगती है, मन पर नियंत्रण बढ़ने लगता है।

यदि हम बैंक में जमा धन को केवल खर्च करते रहें और बैंक खाते में और धन नहीं डालें तो एक दिन बैंक बैलेंस जीरो हो जाएगा और परिणामस्वरूप सुरक्षा चक्र खत्म हो जाएगा। ठीक इसी प्रकार यदि हम प्राणायाम करना बंद कर देते हैं तो पहले प्राणायाम द्वारा जमा हुई प्राण-शक्ति कुछ दिन तो हमारी रक्षा करती है पर शरीर में धीरे धीरे कम होने लगती है जिसके फलस्वरूप विकार पुनः उत्पन्न होने लगते हैं, चेहरे की आभा कम होने लगती है, शरीर की activity व् capacity घटने लगती है तथा मन चंचल व् विचलित होने लगता है।

अतः प्राणायाम का निरंतर अभ्यास करने से हमारी प्राण शक्ति का bank balance बढ़ता चला चला जाएगा जिसे हम मुसीबत के वक्त (जब हमारा शरीर ज्यादा मेहनत करने लायक नहीं रहता अथवा गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो जाता है) इस्तेमाल करके quality life जी सकते हैं।

यदि कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें तो प्राणायाम बहुत जल्दी results देता है : -

(१) ब्रह्मचर्य का ज्यादा से ज्यादा पालन

इस से वीर्य की बचत होती है जिस से शरीर में चमक दमक, उत्साह, आनंद, बल दिखाई देता है तथा प्राणायाम के समय ध्यान लगाने में कम कठिनाई आती है।

(२) खान- पान

सादा भोजन करें व् समय पर करें। असमय न खाएं। रात का खाना ७-८ बजे तक खा लें। सुबह ४.३० तक उठ जाएँ। तला व् मसालेदार भोजन कम से कम खाएं। सफ़ेद चीनी का त्याग कर दें। मीठे का मन हो तो गुड अथवा शहद लें। मौसम का फल लें। जितना हो सके फलों व् सब्जियों को natural रूप में लें। भोजन चबा चबा कर करें। पानी का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। जितनी भूख हो उससे थोड़ा कम खाएं।

Saturday, November 8, 2008

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